सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर का जन्म लाहोर मे 19 अक्तूबर , 1910 को हुआ । उसके पिता सुब्रामन्यिन आयर सरकारी सेवा मे थे। सी.वी.रमन, विज्ञान में पहले भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता चन्द्रशेखर के पिता के छोटे भाई थे। चन्द्रशेखर का बाल्य जीवन मद्रास (अब चेन्नई) में बीता। ग्यारह वर्ष की आयु में मद्रास प्रेसिडेंसी कालेज में उसने दाखिला लिया जहां पहले दो वर्ष उसने भौतिकी, कैमिस्टरी, अंगरेजी और संस्कृत का अध्ययन किया। चन्द्रशेखर ने 31, जुलाई 1930 को उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड का प्रस्थान किया और इस प्रकार एक लबां और शानदार वैज्ञानिक कैरियर आंरभ किया जो 65 वर्षों तक विस्तृत था। पहले छ: वर्षों को छोड़, उसने शिकागो विश्वविद्यालय मे काम किया। उसका अनुसाधान उत्पादन अपूर्व है और चन्द्रशेखर द्वारा प्रकाशित प्रत्येक मोनोग्राफ या पुस्तक गौरवग्रन्थ बन गए हैं। संबंधित क्षेत्रों का कोई भी गम्भीर विद्यार्थी चन्द्रशेखर के काम की उपेक्षा नहीं कर सकता। वह किसी एकल समस्या से नहीं बल्कि इस इच्छा से प्रेरित था कि समस्त क्षेत्र पर सापेक्ष महत्व या महत्वहीनता के बारे में वह कभी चिन्तित नहीं था। उसे
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कार्बन के गुण
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कार्बन के योगिका का नामकरण
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कार्बन के अपररूप
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कार्बन के उपयोग
कार्बन प्रकति में 0.003%पाया जाता है! ओर कार्बन एक गैस है जो विभिन्न प्रकार के पदार्थो में पाया जाता है
यह एक अति आवश्यक अवयव है यह लकड़ी कोयला चारकोल कोलतार प्लास्टिक l.p.gमें C.N.Gमें पाया जाता है !
कार्बन एक गैस होते हुए भी यह तीनों अवस्थाओं बम पाया जाता है
कार्बन के विशेष गुण
1, कार्बन का परमाणु कर्मांक 6 होता है
2,कार्बन में 4 बंध पाए जाते है
3,कार्बन के सबसे ज्यादा यौगिक होते है ओर तीन लाख तक के यौगिक होते है
4,कार्बन श्रखला में रेखीय रूप में चकित रूप में
पाया जाता है
5,कार्बन तीनों प्रकार के बंध बनाता है
ए कल बन्ध दिव बंध तीन बन्ध
6,कार्बन के अपररूप होते। हीरा ग्रेफाइट फुलरिन्न
कार्बन के गुण
कार्बन के योगिका का नामकरण
कार्बन के अपररूप
कार्बन के उपयोग
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इस अध्याय में हम कार्बन से जुड़े सभी गुणों का अध्ययन करेंगे
कार्बन = C (प्रतीक)
परमाणु क्रमांक= 6
कार्बन के परमाणु में इलेक्ट्रान का वितरण 2,4 तरीके से होता है |
कार्बन के नाभिक में
2 इलेक्ट्रान और बाहरी कोश में 4 इलेक्ट्रान होते है | कार्बन संतुलित होने के लिए 4 इलेक्ट्रान
या तो किसी और परमाणु से लेंगा या फिर 4
इलेक्ट्रान किसी और परमाणु को दे देंगा |लेकिन 6 इलेक्ट्रान वाले परमाणु के लिए 4
इलेक्ट्रान लेकर 10 इलेक्ट्रान रखना कठिन होता है और 4 इलेक्ट्रान देकर 2
इलेक्ट्रान रखना भी आसान नहीं होता क्योकि इसके लिए बहुत ऊर्जा की जरूरत होती है|
कार्बन अन्य तत्व के
परमाणु के साथ या फिर अपने अन्य परमाणु के साथ इलेक्ट्रान की साझेदारी कर अणुओ का
निर्माण करते है |
कार्बन यौगिक विधुत के कुचालक होते है और इनका गलनाक भी कम होता है |
सह्सयोजी आबंध= 2 परमाणुओं के
बीच इलेक्ट्रान की साझेदारी से बनने वाले बंध को सह्सयोजी आबंध कहते है |
इलेक्ट्रान की साझेदारी के अनुसार इसे 3 प्रकार में बांटा गया है |
1.एकल आबंध = 2 परमाणुओं के बीच 1-1 इलेक्ट्रान की साझेदारी से बनने
वाले बंध को एकल आबंध कहते है | ex
H2 ,Cl2 etc.
हाइड्रोजन के बाहरी कोश में 1 इलेक्ट्रान
होता है और उसे संतुलित होने के लिए 1 इलेक्ट्रान की जरूरत होती है इ्सलिये हाइड्रोजन परमाणु का एक इलेक्ट्रान
दुसरे हाइड्रोजन परमाणु के एक इलेक्ट्रान
से बंध बनाकर अपना अष्टक सम्पुर्ण कर लेता है |
H
H-H
2.द्रिआबंध=2 परमाणुओं के बीच 2 इलेक्ट्रान की साझेदारी से बनने वाले
बंध को द्रिआबंध कहते है | ex O2 etc .
ऑक्सीजन के बाहरी कोश में 6 इलेक्ट्रान होते है
और ऑक्सीजन को अपना अष्टक पुर्ण करने के 2
इलेक्ट्रान की ज़रुरत होती है और ऑक्सीजन अपने अन्य ऑक्सीजन के साथ 2 इलेक्ट्रान की
साझेदारी कर द्रिआबंध का निर्माण करता है |
O=O
3.त्रिआबंध=2 परमाणुओं के बीच 3 इलेक्ट्रान की साझेदारी से बनने वाले
बंध को त्रिआबंध कहते है | EX N2 etc.
नाइट्रोजन के बाहरी कोश में 5 इलेक्ट्रान होते है और एक नाइट्रोजन
दुसरे नाइट्रोजन के तीन इलेक्ट्रान के साथ बंध बनाकर दोनों नाइट्रोजन परमाणु अपना
अष्टक पूर्ण कर लेते है|
कार्बन के अपररूप=
किसी तत्व के अलग-अलग रूप जिनकी भौतिक गुण तो अलग-अलग होते है परन्तु
रासायनिक गुणधर्म सामान होते है वे उस तत्व के अपररूप कहलाते है |
अपररूप 3 प्रकार के होते है
1.हीरा
2.ग्रेफाइट
3.फुलरीन
1.हीरा
हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु , अन्य चार कार्बन परमाणुओं के साथ बंधित
होकर ठोस त्रिआयामी चतुश्फल्कीय संरचना बनाता है| ये कार्बन का सबसे कढोर रूप है इसलिए इस
अपररूप का use ग्लास को काटने के लिए किया जाता है | दो C–C बंध के मध्य दुरी 1.54 एंग्सट्राम होती है| ये विधुत के कुचालक
है क्योकि प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य चार कार्बन परमाणु से बंधित होने से बाहरी कोश
में कोई इलेक्ट्रान मुक्त नहीं होते है|ये अति चमकीला अपररूप है |
इस अध्याय में हम कार्बन से जुड़े सभी गुणों का अध्ययन करेंगे
कार्बन = C (प्रतीक)
परमाणु क्रमांक= 6
परमाणु क्रमांक= 6
कार्बन के परमाणु में इलेक्ट्रान का वितरण 2,4 तरीके से होता है |
कार्बन के नाभिक में
2 इलेक्ट्रान और बाहरी कोश में 4 इलेक्ट्रान होते है | कार्बन संतुलित होने के लिए 4 इलेक्ट्रान
या तो किसी और परमाणु से लेंगा या फिर 4
इलेक्ट्रान किसी और परमाणु को दे देंगा |लेकिन 6 इलेक्ट्रान वाले परमाणु के लिए 4
इलेक्ट्रान लेकर 10 इलेक्ट्रान रखना कठिन होता है और 4 इलेक्ट्रान देकर 2
इलेक्ट्रान रखना भी आसान नहीं होता क्योकि इसके लिए बहुत ऊर्जा की जरूरत होती है|
कार्बन अन्य तत्व के
परमाणु के साथ या फिर अपने अन्य परमाणु के साथ इलेक्ट्रान की साझेदारी कर अणुओ का
निर्माण करते है |
कार्बन के नाभिक में
2 इलेक्ट्रान और बाहरी कोश में 4 इलेक्ट्रान होते है | कार्बन संतुलित होने के लिए 4 इलेक्ट्रान
या तो किसी और परमाणु से लेंगा या फिर 4
इलेक्ट्रान किसी और परमाणु को दे देंगा |लेकिन 6 इलेक्ट्रान वाले परमाणु के लिए 4
इलेक्ट्रान लेकर 10 इलेक्ट्रान रखना कठिन होता है और 4 इलेक्ट्रान देकर 2
इलेक्ट्रान रखना भी आसान नहीं होता क्योकि इसके लिए बहुत ऊर्जा की जरूरत होती है|
कार्बन अन्य तत्व के
परमाणु के साथ या फिर अपने अन्य परमाणु के साथ इलेक्ट्रान की साझेदारी कर अणुओ का
निर्माण करते है |
कार्बन यौगिक विधुत के कुचालक होते है और इनका गलनाक भी कम होता है |
सह्सयोजी आबंध= 2 परमाणुओं के
बीच इलेक्ट्रान की साझेदारी से बनने वाले बंध को सह्सयोजी आबंध कहते है |
बीच इलेक्ट्रान की साझेदारी से बनने वाले बंध को सह्सयोजी आबंध कहते है |
इलेक्ट्रान की साझेदारी के अनुसार इसे 3 प्रकार में बांटा गया है |
1.एकल आबंध = 2 परमाणुओं के बीच 1-1 इलेक्ट्रान की साझेदारी से बनने
वाले बंध को एकल आबंध कहते है | ex
H2 ,Cl2 etc.
वाले बंध को एकल आबंध कहते है | ex
H2 ,Cl2 etc.
हाइड्रोजन के बाहरी कोश में 1 इलेक्ट्रान
होता है और उसे संतुलित होने के लिए 1 इलेक्ट्रान की जरूरत होती है इ्सलिये हाइड्रोजन परमाणु का एक इलेक्ट्रान
दुसरे हाइड्रोजन परमाणु के एक इलेक्ट्रान
से बंध बनाकर अपना अष्टक सम्पुर्ण कर लेता है |
होता है और उसे संतुलित होने के लिए 1 इलेक्ट्रान की जरूरत होती है इ्सलिये हाइड्रोजन परमाणु का एक इलेक्ट्रान
दुसरे हाइड्रोजन परमाणु के एक इलेक्ट्रान
से बंध बनाकर अपना अष्टक सम्पुर्ण कर लेता है |
H
H-H
2.द्रिआबंध=2 परमाणुओं के बीच 2 इलेक्ट्रान की साझेदारी से बनने वाले
बंध को द्रिआबंध कहते है | ex O2 etc .
बंध को द्रिआबंध कहते है | ex O2 etc .
ऑक्सीजन के बाहरी कोश में 6 इलेक्ट्रान होते है
और ऑक्सीजन को अपना अष्टक पुर्ण करने के 2
इलेक्ट्रान की ज़रुरत होती है और ऑक्सीजन अपने अन्य ऑक्सीजन के साथ 2 इलेक्ट्रान की
साझेदारी कर द्रिआबंध का निर्माण करता है |
और ऑक्सीजन को अपना अष्टक पुर्ण करने के 2
इलेक्ट्रान की ज़रुरत होती है और ऑक्सीजन अपने अन्य ऑक्सीजन के साथ 2 इलेक्ट्रान की
साझेदारी कर द्रिआबंध का निर्माण करता है |
O=O
3.त्रिआबंध=2 परमाणुओं के बीच 3 इलेक्ट्रान की साझेदारी से बनने वाले
बंध को त्रिआबंध कहते है | EX N2 etc.
बंध को त्रिआबंध कहते है | EX N2 etc.
नाइट्रोजन के बाहरी कोश में 5 इलेक्ट्रान होते है और एक नाइट्रोजन
दुसरे नाइट्रोजन के तीन इलेक्ट्रान के साथ बंध बनाकर दोनों नाइट्रोजन परमाणु अपना
अष्टक पूर्ण कर लेते है|
दुसरे नाइट्रोजन के तीन इलेक्ट्रान के साथ बंध बनाकर दोनों नाइट्रोजन परमाणु अपना
अष्टक पूर्ण कर लेते है|
कार्बन के अपररूप=
किसी तत्व के अलग-अलग रूप जिनकी भौतिक गुण तो अलग-अलग होते है परन्तु
रासायनिक गुणधर्म सामान होते है वे उस तत्व के अपररूप कहलाते है |
रासायनिक गुणधर्म सामान होते है वे उस तत्व के अपररूप कहलाते है |
अपररूप 3 प्रकार के होते है
1.हीरा
2.ग्रेफाइट
3.फुलरीन
1.हीरा
हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु , अन्य चार कार्बन परमाणुओं के साथ बंधित
होकर ठोस त्रिआयामी चतुश्फल्कीय संरचना बनाता है| ये कार्बन का सबसे कढोर रूप है इसलिए इस
अपररूप का use ग्लास को काटने के लिए किया जाता है | दो C–C बंध के मध्य दुरी 1.54 एंग्सट्राम होती है| ये विधुत के कुचालक
है क्योकि प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य चार कार्बन परमाणु से बंधित होने से बाहरी कोश
में कोई इलेक्ट्रान मुक्त नहीं होते है|ये अति चमकीला अपररूप है |
होकर ठोस त्रिआयामी चतुश्फल्कीय संरचना बनाता है| ये कार्बन का सबसे कढोर रूप है इसलिए इस
अपररूप का use ग्लास को काटने के लिए किया जाता है | दो C–C बंध के मध्य दुरी 1.54 एंग्सट्राम होती है| ये विधुत के कुचालक
है क्योकि प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य चार कार्बन परमाणु से बंधित होने से बाहरी कोश
में कोई इलेक्ट्रान मुक्त नहीं होते है|ये अति चमकीला अपररूप है |
ग्रेफाइट
ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु , अन्य 3 कार्बन परमाणु के साथ एक ही तल में बंध बनाते हुए ष्टकोणीय वलय परत संरचना बनाता है|ग्रेफाइट की परतो के मध्य दुर्बल बंध होने तथा दुरी अधिक होने के कारण एक परत , दूसरी परत पर फिसल सकती हैइसीलिए ग्रेफाइट को शुष्क स्नेहक के रूप में उपयोग में लेते है | प्रत्येक कार्बन परमाणु , अन्य 3 कार्बन परमाणु से बंधा होने के कारण मुक्त इलेक्ट्रान उपस्थित होते है तथा ग्रेफाइट की परतो के मध्य स्थान होने से विधुत का सुचालक होता है|ये काले धूसर रंग का मुलायम पदार्थ है|इसका उपयोग पेंसिल , शुष्क स्नेहक , इलेक्ट्रोड बनाने में , लोहे कीवस्तुओ पर पोलिश करने में होता है |पंकिल मे काले rand का प्रदाथ , काले रंग की ग्रीस और सेल मे काले रंग के रोड ग्रेफाइट का उदाहरन है | in सभी को आपने ने कभी कभी देखा होगा |
फुलरीन
1.फुलरीन की आकार फुटबॉल की तरह होती है इसलिए इसे बकीबॉल भी कहते है|
2. अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिन्स्टर फुलर के नाम पर फुलरीन का नाम रखा गया | क्योकि इस अपररूप की खोज बकमिन्स्टर फुलर ने की थी |
3.फुलरीन के एक अणु में 60 , 70 या अधिक कार्बन परमाणु पाए जाते है | जो की आपस मे चतुकोनीय सरचना बनता है |
4. C–60 सबसे अधिक स्थायी फुलरीन है इसे बकमिन्स्टर फुलर भी कहते है|
5. C–60 की संरचना में 32 फलक होते है , जिसमे 20 फलक ष्टकोणीय तथा 12 फलक पंचकोणीय होते है|
6. C–60 विधुत का कुचालक है क्योकि इसमें कार्बन के कोई भी इलेक्ट्रान free नहीं होता है | इसमें C–C बंध लम्बाई 1.40 एंग्सट्राम होती है|
फुलरीन का उपयोग
प्राकृतिक गैस के शुद्धिकरण में,आणविक बेअरिंग में आदि में होता है |
श्रृंखलन
कार्बन के द्वारा कार्बन के ही दूसरे परमाणुओं के साथ सहसंयोजी बंध
बनाकर श्रृंखला का निर्माण श्रृंखलन कहलाता है। कार्बन में कार्बन के परमाणु
के साथ ही श्रृंखला बनाने की क्षमता है, इस क्षमता के कारण कार्बन के परमाणु दूसरे कार्बन
के परमाणु के साथ बंध बनाकर सीधी लम्बी श्रृंखला के अलावा विभिन्न शाखाओं वाली
श्रृंखला तथा वलय के आकार में श्रृंखला का निर्माण करता है। कार्बन के परमाणुओं के
साथ साथ दूसरे तत्वों के परमाणुओं के साथ भी बंध बनाकर यौगिक का निर्माण करता है।कार्बन
की इस गुण के कारन ही कार्बन के योगिक का use सबसे ज्यादा होता है |
हाइड्रोकार्बन को दो प्रकार में बाँटा गया है
संतृप्त हाइड्रोकार्बन
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
संतृप्त हाइड्रोकार्बन
ऐसे कार्बन के यौगिक जिसमें कार्बन कार्बन की श्रृंखला में केवल एकल
बंध होते हैं संतृप्त हाईड्रोकार्बन कहलाते हैं। EX मिथेन [(CH4)], इथेन [(C2H6)] etc
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
ऐसे कार्बन के यौगिक जिसमें कार्बन कार्बन की श्रृंखला में द्रिबंध या
त्रिबंध होते हैं असंतृप्त हाईड्रोकार्बन कहलाते हैं। ex एथीन [(C2H4)], etc
ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु , अन्य 3 कार्बन परमाणु के साथ एक ही तल में बंध बनाते हुए ष्टकोणीय वलय परत संरचना बनाता है|ग्रेफाइट की परतो के मध्य दुर्बल बंध होने तथा दुरी अधिक होने के कारण एक परत , दूसरी परत पर फिसल सकती हैइसीलिए ग्रेफाइट को शुष्क स्नेहक के रूप में उपयोग में लेते है | प्रत्येक कार्बन परमाणु , अन्य 3 कार्बन परमाणु से बंधा होने के कारण मुक्त इलेक्ट्रान उपस्थित होते है तथा ग्रेफाइट की परतो के मध्य स्थान होने से विधुत का सुचालक होता है|ये काले धूसर रंग का मुलायम पदार्थ है|इसका उपयोग पेंसिल , शुष्क स्नेहक , इलेक्ट्रोड बनाने में , लोहे कीवस्तुओ पर पोलिश करने में होता है |पंकिल मे काले rand का प्रदाथ , काले रंग की ग्रीस और सेल मे काले रंग के रोड ग्रेफाइट का उदाहरन है | in सभी को आपने ने कभी कभी देखा होगा |
फुलरीन
1.फुलरीन की आकार फुटबॉल की तरह होती है इसलिए इसे बकीबॉल भी कहते है|
2. अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिन्स्टर फुलर के नाम पर फुलरीन का नाम रखा गया | क्योकि इस अपररूप की खोज बकमिन्स्टर फुलर ने की थी |
3.फुलरीन के एक अणु में 60 , 70 या अधिक कार्बन परमाणु पाए जाते है | जो की आपस मे चतुकोनीय सरचना बनता है |
4. C–60 सबसे अधिक स्थायी फुलरीन है इसे बकमिन्स्टर फुलर भी कहते है|
5. C–60 की संरचना में 32 फलक होते है , जिसमे 20 फलक ष्टकोणीय तथा 12 फलक पंचकोणीय होते है|
6. C–60 विधुत का कुचालक है क्योकि इसमें कार्बन के कोई भी इलेक्ट्रान free नहीं होता है | इसमें C–C बंध लम्बाई 1.40 एंग्सट्राम होती है|
फुलरीन का उपयोग
प्राकृतिक गैस के शुद्धिकरण में,आणविक बेअरिंग में आदि में होता है |
प्राकृतिक गैस के शुद्धिकरण में,आणविक बेअरिंग में आदि में होता है |
श्रृंखलन
कार्बन के द्वारा कार्बन के ही दूसरे परमाणुओं के साथ सहसंयोजी बंध
बनाकर श्रृंखला का निर्माण श्रृंखलन कहलाता है। कार्बन में कार्बन के परमाणु
के साथ ही श्रृंखला बनाने की क्षमता है, इस क्षमता के कारण कार्बन के परमाणु दूसरे कार्बन
के परमाणु के साथ बंध बनाकर सीधी लम्बी श्रृंखला के अलावा विभिन्न शाखाओं वाली
श्रृंखला तथा वलय के आकार में श्रृंखला का निर्माण करता है। कार्बन के परमाणुओं के
साथ साथ दूसरे तत्वों के परमाणुओं के साथ भी बंध बनाकर यौगिक का निर्माण करता है।कार्बन
की इस गुण के कारन ही कार्बन के योगिक का use सबसे ज्यादा होता है |
बनाकर श्रृंखला का निर्माण श्रृंखलन कहलाता है। कार्बन में कार्बन के परमाणु
के साथ ही श्रृंखला बनाने की क्षमता है, इस क्षमता के कारण कार्बन के परमाणु दूसरे कार्बन
के परमाणु के साथ बंध बनाकर सीधी लम्बी श्रृंखला के अलावा विभिन्न शाखाओं वाली
श्रृंखला तथा वलय के आकार में श्रृंखला का निर्माण करता है। कार्बन के परमाणुओं के
साथ साथ दूसरे तत्वों के परमाणुओं के साथ भी बंध बनाकर यौगिक का निर्माण करता है।कार्बन
की इस गुण के कारन ही कार्बन के योगिक का use सबसे ज्यादा होता है |
हाइड्रोकार्बन को दो प्रकार में बाँटा गया है
संतृप्त हाइड्रोकार्बन
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
संतृप्त हाइड्रोकार्बन
ऐसे कार्बन के यौगिक जिसमें कार्बन कार्बन की श्रृंखला में केवल एकल
बंध होते हैं संतृप्त हाईड्रोकार्बन कहलाते हैं। EX मिथेन [(CH4)], इथेन [(C2H6)] etc
बंध होते हैं संतृप्त हाईड्रोकार्बन कहलाते हैं। EX मिथेन [(CH4)], इथेन [(C2H6)] etc
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
ऐसे कार्बन के यौगिक जिसमें कार्बन कार्बन की श्रृंखला में द्रिबंध या
त्रिबंध होते हैं असंतृप्त हाईड्रोकार्बन कहलाते हैं। ex एथीन [(C2H4)], etc
त्रिबंध होते हैं असंतृप्त हाईड्रोकार्बन कहलाते हैं। ex एथीन [(C2H4)], etc
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